जलती धरती
जलती धरती
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जलवायु परिवर्तन पर असरकारी,
भयावह तस्वीर की अब बारी।
लू चलेगी तूफान आएगी ,
न जाने क्या-क्या आएगी ।
संकट को अनदेखा कर रहे हो,
प्रकृति से खिलवाड़ क्यों कर रहे हो।
जलती धरा को बचाना है ,
हरियाली हमे ही लाना है।
मनोहरी प्रकृति को रुला रहे हो,
दिखावे में पर्यावरण मना रहे हो।
कार्बन डाइऑक्साइड में हो रही वृद्धि,
कब आएगी हमें सद्बुद्धि ।
एक-एक पौधा हर वर्ष लगाओ,
जीवन में निज खुशियाँ पाओ।
जलती धरा को बचाना है,
हरियाली हमें ही लाना है।
आग से कहीं तप रहा है,
जल से कहीं लबालब भरा है।
क्षण – क्षण बदलता परिवेश,
यही है प्रकृति का असली भेष।
मत छेड़ो इन प्रकृति को,
सुंदर इसे सजाना है।
जलती धरा को बचाना है,
हरियाली हमें ही लाना है।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”