जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
गज़ल
212/212/212/212
जर जमीं धन किसी को तुम्हारा मिले।
भावनाओं का मुझको सहारा मिले।1
तन से धन से किसी के लिए तुम रहो,
मेरे दिल को तो इक साथ प्यारा मिले।2
प्यार औ’र दोस्ती की जो दौलत मिली,
अब नहीं गम कोई भी ख़सारा मिले।3
जो भी किस्मत में होगा मिलेगा वहीं,
चांद मिलता है या, टूटा तारा मिले।4
आपके आने से ही मिलेगी खुशी,
आंखों को खूबसूरत नज़ारा मिले।5
मुझको काशी मिले या कि मथुरा मिले,
गर जनम फिर मिले हिंद प्यारा मिले।6
एक प्रेमी हूं मैं चाहिए और क्या,
उसको गर दर्द हो मुझको सारा मिले।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी