जरूरी
ख्वाहिशें हैं अधूरी और अधूरी रहेगी।
क्योंकि साथ तो अपने बस मजबूरी रहेगी।
मुझे सुनने की आदत कब की चली गयी,
मुझसे वही बात कहना जो जरूरी रहेगी।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
ख्वाहिशें हैं अधूरी और अधूरी रहेगी।
क्योंकि साथ तो अपने बस मजबूरी रहेगी।
मुझे सुनने की आदत कब की चली गयी,
मुझसे वही बात कहना जो जरूरी रहेगी।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी