जरूरी हो तुम जिंदगी के लिए
ग़ज़ल
जरूरी हो तुम
ज्यों जरूरी हैं साँसे सभी के लिए।
हाँ जरूरी हो तुम जिंदगी के लिए।।
सिर झुके वो न सजदा खुदा को कुबू।
दिल भी शामिल रहे वंदगी के लिए।।
बनके हैवान जब नोंचता है बदन।
आदमी खा रहा आदमी के लिए।।
साँझ को डूबा सूरज यही सोचकर।
चाँद आएगा अब चाँदनी के लिए।।
भक्तों के प्रेम में रब चले आते हैं।
आएगा अब समंदर नदी के लिए।।
तुमको पाकर रहीं शेष चाहत नहीं।
झूठ कहता रहा दिल्लगी के लिए।।
दिल से दिल मिल न पाए हमारे सनम।
हाथ में हाथ दो दोस्ती के लिए।।
लेके तस्वीर दिल में मेरे यार की।
कैसे जाऊँ बता खुदखुशी के लिए।।
मीडिया घटना के यूँ तमाशे बना।
ढूँढ़ती हैं खबर खलबली के लिए।।
ज्योति दे अब दुआएं रकीबों को भी।
दिल बनाया नहीं दुश्मनी के लिए।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव