Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Feb 2024 · 1 min read

जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे

जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
कुछ मोहब्बतें भी दे जाती हैं

Gouri tiwari

3 Likes · 220 Views

You may also like these posts

काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
काम,क्रोध,भोग आदि मोक्ष भी परमार्थ है
AJAY AMITABH SUMAN
तुम इतने प्यारे हो
तुम इतने प्यारे हो
Jyoti Roshni
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
3010.*पूर्णिका*
3010.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
मैं तुझसे बेज़ार बहुत
Shweta Soni
*प्रेम का डाकिया*
*प्रेम का डाकिया*
Shashank Mishra
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
खिङकियां
खिङकियां
Meenakshi Bhatnagar
धागे प्रेम के बहन मन भावों से लाई......
धागे प्रेम के बहन मन भावों से लाई......
Neeraj Agarwal
आखिर क्यों
आखिर क्यों
Dr.Pratibha Prakash
"दौलत के सामने"
Dr. Kishan tandon kranti
सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।
सरकार का अन्यायपूर्ण रवैया बंद होना चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
गिरगिट तो संसार में,
गिरगिट तो संसार में,
sushil sarna
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
ग़ज़ल एक प्रणय गीत +रमेशराज
कवि रमेशराज
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
■ पाठक लुप्त, लेखक शेष। मुग़ालते में आधी आबादी।
■ पाठक लुप्त, लेखक शेष। मुग़ालते में आधी आबादी।
*प्रणय*
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
शेखर सिंह
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Arvina
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
संगाई (भू-श्रंगी हिरण)
Indu Singh
कितना और सहे नारी ?
कितना और सहे नारी ?
Mukta Rashmi
*पाऍं कैसे ब्रह्म को, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
*पाऍं कैसे ब्रह्म को, आओ करें विचार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आप्रवासी उवाच
आप्रवासी उवाच
Nitin Kulkarni
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
Dr fauzia Naseem shad
बसंत
बसंत
Dr Archana Gupta
पास आना तो बहाना था
पास आना तो बहाना था
भरत कुमार सोलंकी
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
जीवन के रास्ते हैं अनगिनत, मौका है जीने का हर पल को जीने का।
पूर्वार्थ
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
अच्छी तरह मैं होश में हूँ
gurudeenverma198
प्रेम..
प्रेम..
हिमांशु Kulshrestha
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।
Manisha Manjari
करुण पुकार
करुण पुकार
Pushpa Tiwari
Loading...