जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो
यह सब तुम्हारी केवल कल्पना है,
जिसके बारे में तुम सोचते हो,
तुम ही रखते हो ऐसा ख्याल,
ऐसा सिर्फ तुम सोचते हो,
ऐसा सिर्फ तुम ही कहते हो,
कि वह सिर्फ तुम्हारा ही है।
उसको तुमने माना है अपना ख्वाब,
और अपनी जिंदगी की मंजिल,
और माना है उसको तुमने अपनी,
बन्दगी- ओ- तस्वीर जिंदगी की,
और तुम्हारी राहों को रोशन करने वाला,
चिराग जिसको तुमने कहा है।
चाहते हो जिससे तुम बहुत कुछ,
हरकदम पर जिसका तुम साथ,
रंजो- गम में खुशियों का फूल बने,
निराशा में उमंग और विश्वास भरे,
उदासी को तोड़ता हुआ संगीत बने,
और उसको तुम सींच रहे हो अपने खूं से।
करते हो जिसकी खिदमत हरवक्त तुम,
ताकि वह तुमसे नाराज नहीं हो,
अपनी इच्छाओं और खुशियों को दफ़न करके,
भरते हो जिसका दामन खुशियों से तुम,
और कहते हो गर्व से जिसको तुम,
अपना प्यार- अपनी जान-ओ- शान,
जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)