जरूरत
कौन है इस दुनिया में जो दूध का धुला हो
जिसके स्वभाव मे …धरती जैसी
सहनशीलता हो
और मन आकाश सा खुला हो
हर किसी मे होती है
तमाम सारी कमियां
मगर
जिन्दा रहने के लिए
जरूरी है कुछ गलतफहमियां
चलो गलतफहमियों को गले लगाएं
भीतर से कुछ भी हो
बाहर से भले हो जाएं