जरूरत क्या है
बेवज़ह वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है
तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है
सजाए बैठा हूँ कमरा ए दिल तुम्हारे लिए
आस्तीनों में यूँ पलने की जरूरत क्या है
बेवज़ह वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है
तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है
सजाए बैठा हूँ कमरा ए दिल तुम्हारे लिए
आस्तीनों में यूँ पलने की जरूरत क्या है