जरूरत क्या मुझे उनको, ये दर्दे दिल दिखाने की।
गज़ल
काफ़़िया- आने
रद़ीफ- की
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222……1222…….1222……1222
नहीं कोई यकीं करता, ये आदत है जमाने की।
जरूरत क्या मुझे उनको, ये दर्दे दिल दिखाने की।
तुम्हारे पास रुतबा, और ताकत है जमाने की।
न इससे कोशिशें करना, गरीबों को सताने की।
ये मेरा दर्द है आखिर, इसे मुझको ही सहना है।
मुझे मालुम, नहीं कोई दवा इसको दबाने की।
गरीबी भुखमरी से जो हैं, खस्ताहाल जीवन में,
उन्हें कुछ मिल सके राहत, कुछैसा कर दिखाने की।
कलम की धार के आगे, न कोई शस्त्र टिकता है,
जरूरत क्या कलमकारों को है, खंजर चलाने की।
सितारे साथ है मेरे, गगन अब और रोशन हो,
हमारी कोशिशें हैं, इक नया सूरज उगाने की।
हमारे साथ होगा कौन, ये तो वक्त देखेगा,
कि प्रेमी बन करेंगे कोशिशें, नफ़रत भगाने की।
……✍️ प्रेमी