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8 Jan 2024 · 1 min read

जरूरत के हिसाब से ही

जरूरत के हिसाब से ही
चलते हैं ताल्लुख
वक्त की चाल में बदल जाते हैं
बने रिश्ते
जो जरूरत होता हैं
वही अक्सर वही
जरूरी नही होता
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 301 Views
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