जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/afd2491b44516579f7fd1f53dbafc534_0be12f348fc48440f6affcb2415d3b37_600.jpg)
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो अपना ना हो और आ उसका वक्त हो। बुरा लगा पर उस एहसास ने समझा दिया की
खुद को बदल ही लेता हु क्योंकि बदलते रहना तो वक्त और इंसान की फितरत है।
`
*बदलते रहना फितरत है इंसान की
अच्छा ने अच्छा कहा बुरो ने बुरा
जिसको जितनी जरूरत या एहमियत लगी
उसने उतना कहा और उतना पूछा*