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5 Jun 2024 · 1 min read

जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो

जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो अपना ना हो और आ उसका वक्त हो। बुरा लगा पर उस एहसास ने समझा दिया की
खुद को बदल ही लेता हु क्योंकि बदलते रहना तो वक्त और इंसान की फितरत है।
`
*बदलते रहना फितरत है इंसान की
अच्छा ने अच्छा कहा बुरो ने बुरा
जिसको जितनी जरूरत या एहमियत लगी
उसने उतना कहा और उतना पूछा*

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