जरुरत है
ज़रूरत है एक अच्छे और सच्चे प्रकाशक की
यानी मेरे लेखकीय कैरिअर के बिनाशक की ।
जोखिम उठाने को जो हो हर तरह से तैयार
भले मेरी किताब “गुस्ताखियाँ ” न करे व्यापार ।
रायल्टी गर रुठ जाए हमसे कोई बात नहीं है
मगर मेरी गज़लों के संग्रह का हो बेड़ा पार ।
है कोई हिम्मतवाला तो है मेरा यहाँ नंबर यारों
फोन कर बताएं हमें कि हूँ आन्दोलन को तैयार ।
इक पाई भी मैं नहीं हूँ देनेवाला समझ ले पहले
कर रहा अजय अब आपके कॉल का इन्तज़ार ।
-अजय प्रसाद (?9006233052)