जरी जईता एहि होली में
वैक्सीन से कंट्रोल हो पाई, अब दम नाही बा गोली में।
रंग में भंग जे पड़ी जाई त, मिठास का रही बोली में।
एक साल तूँ बड़ा सतवला अब तुहके झेलल मुश्किल बा,
होलिका माई तुहैं ले जयतिन ,जरी जईता एहि होली में।
लगत रहल तें चलि गईले, पर लौट के अब ते आ गईले।
का तेहके ई एहसास भी बा, केतनन के रोजी कहा गईले।
तेर मरल निश्चित होइ जाई, कोविशील्ड के गोली से।
होलिका माई तुहैं ले जयतिन ,जरी जईता एहि होली में।
परधान लोगन के भी ना छोड़ले ,बइठल बाटें मोहर लिहले।
फाग, नगाड़ा अब नही सुनाला, एहू के नोहर कइले।
कबीरा सररर के नारा के देइ हुड़दंगन के टोली में।
होलिका माई तुहैं ले जयतिन ,जरी जईता एहि होली में।
-सिद्धार्थ पांडेय