जरा सोचो कैसी होगी वो नारी
नाईटी पहने वो दिन रात,
पति से करती, कभी न बात ।
गर कोई घर-पर आ जाये,
तो झटपट, साड़ी पहन दुर्गा बन जाये ।।
जब वो व्यक्ति चल जाये,
तो वो फिर से, काली बन जाये ।
जब दूसरों के लिए पहने वो साड़ी,
तो जरा सोचो, कैसी होगी वो नारी ।।
दिन-रात नाईटी में रहती है,
पति का कहा, न एक सुनती है ।
पति पहनावे पर कुछ कह दे,
तो उसके मन में, आती है गारी ।।
वो अपने पति के लिए नहीं,
बस औरों को दिखाने के लिए ही ।
झटपट पहनती है साड़ी,
तो जरा सोचो, कैसी होगी वो नारी ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 21/05/2019
समय – 09:22 ( रात्रि )
संपर्क – 9065388391