“ जरा सा सामने आजाओ ”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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हमें तो आप से मिलने की हैं बड़ी चाहत !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से मिलने की हैं बड़ी चाहत !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से……………..!!
गुजर गए हैं दिन
उँगलियों पे गिन गिन के !
दिए हैं ताने हमें
लोगों ने भी बड़े चुन चुन के !!
गुजर गए हैं दिन !
उँगलियों पे गिन गिन के !!
दिए हैं ताने हमें !
लोगों ने भी बड़े चुन चुन के !!
करेंगे परेशान इस तरह भला क्यूँ नाहक !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से मिलने की हैं बड़ी चाहत !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से……………..!!
विरह के गीत को
कानों में कई बार सुन सुन के !
नयन से नीर बहे
मोतिओं के टुकड़े बन बन के !!
विरह के गीत को
कानों में कई बार सुन सुन के !
नयन से नीर बहे
मोतिओं के टुकड़े बन बन के !!
करेंगे हमको भला कब तलक यूँ आहत !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से मिलने की हैं बड़ी चाहत !
जरा सा सामने आजाओ तो मिले राहत !!
हमें तो आप से……………..!!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
16.02.2022.