जरा सा इश्क
जरा सा इश्क का हमको नशा दो
सदा ले बाहु में हमको मजा दो
मुहब्बत में दिये जो जख्म हमको
जरा जख्मों पे मरहम तुम लगा दो
हमारे हो , हमारे तुम रहोगे
सजा कर माथ पर टीका सजा दो
कभी कोई न तन्हाई तुम्हें हो
अधर से अब अधर को तुम लगा दो
तवस्सुम जब नयन तेरे खिलेगें
सटे अंग से रहे ऐसी दुआ दो