जय हो ! जय हो! मदन कृष्ण मुरारी।
बावरे नैना देख रहे बाट थे,
जागे सोये याद में तेरी जाने कितने रात थे,
छाये घनघोर घटाये थे,
आफत से बरसते साये थे,
अधर्म से सबका नाता था,
कोई न किसी का भ्राता था,
कान्हा तुम आये तो सुख चैन है,
दर्शन को तरसते दो नैन है,
लो खुल गए सबके भाग्य के ताले,
जब से पधारे श्याम मतवाले,
धरती अम्बर डोल रही है,
कण-कण अब तो बोल रही है,
देखो प्रकटे कृष्ण बनवारी,
हरने को विपदाएँ हमारी,
धन्य हुए हैं जग के प्राणी,
जय हो! जय हो! मदन कृष्ण मुरारी।
जय हो! जय हो! मदन कृष्ण मुरारी।