जय हिंद
ऊंचा है तिरंगा कि निराली जहां में शान,
रंगीन कई फूलों से है अपना गुलिस्तान।
रहमान के संग राम का करते हैं सभी मान,
ईसा भी हैं नानक भी यहां गीता भी, है कुरआन।
गौतम की महावीर की कण कण में कहानी,
इक़बाल, फ़राज़ ओ ज़फ़र ओ मीर हैं बानी।
रसखान कन्हैया के तलबगार यहीं हैं,
शंकर से भी चिश्ती के परस्तार यहीं है।
इस देश की मिट्टी में शहादत का लहू है,
जय हिंद यशो गान में कोयल की कुहू है।
विज्ञान का ध्वज ले के चला ज्ञान यहाँ है
धरती के हरिक कण का भी सम्मान यहाँ है।
बलिदान के इतिहास से गर्वित ये वतन है,
सारे जहां से अच्छा यही अपना चमन है।
इस दौर की भाषा में कहूँ ‘लव यू मेरी जान’,
है शान भी ईमान भी भारत मेरा भगवान।
दीपशिखा सागर-