जय श्री राम के लिए
उसकी आवाज है गर्दिश-ए-आवाम के लिए |
सर दर्द है वह बड़ा वतन-ए-निजाम के लिए ||1||
बोलता है हमेशा सच किसी के भी सामने |
जाना जाता है वह अपनी कड़वी जुबाँ के लिए ||2||
मिलता है मोहब्बत से हो दोस्त या दुश्मन |
हाथ उठाता है पहले ही दुआ सलाम के लिए ||3||
घर के लोगों को शिकायत है उसके मसरूफियत पर |
उसने आदमी रख रखे हैं इनके तामझाम के लिए ||4||
कैसा भी बड़ा झूठ हो वह झुकता नहीं कभी |
हमेंशा तैयार रहता है अपने अंजाम के लिए ||5||
रखता है वह वतन को अपने मजहब के ऊपर |
वतन परस्ती है उसके अंदर प्रभु श्री राम के लिए ||6||
देखने पर ना जाओ झूठे बैर खाना भगवान का |
वह तो प्रेम था सबरी का जय श्री राम के लिए ||7||
ताज मोहम्मद
लखनऊ