जय श्री कृष्ण
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अधर्म जब बढ़ने लगे,जन जन करें पुकार।
भू से हरने पाप को, प्रभु लेते अवतार।।1
त्रेता में श्री राम ने, किये असुर संहार।
पाप अधर्म असत्य से, मुक्त हुआ संसार।।2
मथुरा के नृप कंस से, व्याकुल सारे संत।
माधव बनकर कंस का, करने आए अंत।।3
धरा लगी फिर डोलने, सहते सहते पाप।
साधु संत करने लगे , कृष्ण नाम का जाप।।4
भाद्र मास की अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात।
मथुरा कारागार में, जन्मे लक्ष्मीकांत।।5
मंदिर – मंदिर सज रहें, देखो भीड़ अपार।
नंद यशोदा लाल की,बोलो जय जयकार।।6
———- जेपीएल
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