जय श्रीकृष्ण -चंद दोहे
कृष्ण पक्ष की अष्टमी ,
रहा भाद्रपद मास,
जन्म लिया श्री कृष्ण ने,
रचने को इतिहास,
रासलीला कर कृष्ण ने,
दिया प्रेम संदेश.
रसधारा में रास की ,
बहे सभी के क्लेश.
क्रोधित हो की इंद्र ने ,
वृष्टि जब धुआँधार.
प्रभु ने गोवर्धन उठा ,
ब्रज को लिया उबार.
आये कॄष्ण धरती पर,
किया कंस संहार.
जिसके पापों ने किया,
जीना तक दुश्वार.
कदम्ब वृक्ष पर चढ़कर ,
कूदे यमुना धार.
बाल कृष्ण मर्दन किया ,
कालिया अहंकार.
कृष्ण छुपे किस कुंज तुम ,
विषधर मारें दंश,
शिशुपाल अपशब्द बकें ,
मुक्त विचरते कंस.
कृष्ण ढूंढते वृक्ष वे,
और वही ब्रज गाँव,
दानव क्रूर विकास का,
जहाँ धर गया पाँव.
-ओम प्रकाश नौटियाल