आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
रात बसर कर ली है मैंने तुम्हारे शहर में,
गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
23/157.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
"समय क़िस्मत कभी भगवान को तुम दोष मत देना
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
ज़िंदगी में छोटी-छोटी खुशियाॅं
स्वाभिमानी व्यक्ति हैं चलते हैं सीना ठोककर
"" *मैंने सोचा इश्क करूँ* ""
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दोहे- चार क़दम
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मोहब्बत का पहला एहसास
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सृष्टि का कण - कण शिवमय है।
मुझे किसी को रंग लगाने की जरूरत नहीं
ये मेरा स्वयं का विवेक है
In the end, we always regret the choices we didn’t make, the
हृदय में वेदना इतनी कि अब हम सह नहीं सकते