जय जवान जय किसान
बलि हमारे ललों की,
लम्बी सूची सवालों की।
दुश्मन के नाम लगा दिया,
भावनाओं को भड़का दिया।
दुश्मन को सबक़ सिखाने को,
सिने का साइज़ बताने को।
दुश्मन पर स्ट्राइक की दिखा तड़ी,
फिर बनाई कहानी बड़ी बड़ी।
भावों के जाल में उलझ गए,
स्ट्राइक को बदला समझ गए।
लाल भी हमारे चले गए,
हम मतदाता बन छले गए।
हम भावों में बहक गए,
उनके दिखने लगे तेवर नए।
शायद अब अंधेरा दूर हुआ,
अब फूटने को नासूर हुआ।