जय जगदम्बे
जयति जयति जय , जय जगदम्बे
असुर मर्दिनी जय मां दुर्गे
सिद्धदायिनी मां शतरूपा
परम सुंदरी रूप अनूपा
कृष्णा गौरी चंद्रघटा तुम
तुम ही देवी आदि स्वरूपा
जगत प्रिया शिव शंभू प्रिये
जयति जयति जय जय जगदंबे
अकार उकार मकार प्रणव की
तुम ही सत्व , रजस तम तुम ही
तुम ही योग महामाया मां
आदि अंत सब तुम ही जननी
शैलसुते तुम , तुम सिंधुसुते
जयति जयति जय जय जगदंबे
चंड मुंड मधु कैटभ हंत्री
महिषासुर मर्दिनि कापाली
शुंभ निशुंभ निकंदनिन देवी
रक्तबीज वध करने वाली
आधि व्याधि सब जग की हर ले
जयति जयति जय जय जगदंबे
-शिवकुमार बिलगरामी-