जय अन्नदाता
(शेर)- धन्य है जीवन तुम्हारा, तुझको करुँ सलाम।
तू कभी थकता नहीं, करते खेती का काम।।
भरता है तू पेट धरती पर, सारी मानव जाति का।
अन्नदाता के रूप में सदा ,अमर रहेगा तेरा नाम।।
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जय जय जय जय, जय अन्नदाता।
तू ही सभी का, पालन- पोषणकर्त्ता।।
जय जय जय जय —————–।।
सर्दी-गर्मी हो कैसी, नहीं चिन्ता तुमको।
बारिश में मेहनत में, नहीं डर तुमको।।
पसीना बहाकर तू ही, अन्न को उगाता।
तू ही सभी का, पालन-पोषणकर्त्ता।।
जय जय जय जय —————–।।
प्रकृति तुझपे जुल्म, कितने करती है।
तेरी फसलें खेतों में, वह नष्ट करती है।।
समझकै नसीब तू , नहीं आँसू दिखाता।
तू ही सभी का, पालन- पोषणकर्त्ता।।
जय जय जय जय—————-।।
इंसाफ तुमको, बहुत कम मिलता है।
बाजार-शासन में, बस तू ही लूटता है।।
फिर भी तू अपनी कृपा, सबपे लुटाता।
तू ही सभी का, पालन- पोषणकर्त्ता।।
जय जय जय जय ——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)