जया त्रिपाठी मिश्रा ने किया साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार के विशेषांक ‘बाल गीतावली’ का भव्य विमोचन
जया त्रिपाठी मिश्रा ने किया साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार के विशेषांक ‘बाल गीतावली’ का भव्य विमोचन
साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका हरिहरहार के विशेषांक ‘बाल गीतावली’ का भव्य विमोचन जया त्रिपाठी मिश्रा ने भक्तिकाल में किया। विमोचन के समय उन्होंने कहा- ‘साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई मंच द्वारा संचालित एवं संपादित प्रतिष्ठित “ई -पत्रिका” “हरिहरहार” के विशेषांक “बाल गीतावली” का आज शुभ विमोचन है।
आज २५ दिसंबर की तिथि मेरे लिए अत्यंत गौरवपूर्ण एवं हर्षोल्लास पूर्ण दिवस है क्योंकि आज मुझे आप सभी गुणीजनों के समक्ष इस प्रतिष्ठित
“ई -पत्रिका” के ऑनलाइन विमोचन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
यह गौरवशाली सम्मान प्रदान करने हेतु मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री राजवीर सिंह ‘मंत्र’ जी, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय श्री कुमार रोहित “रोज़”जी, राष्ट्रीय प्रमाणन अधिकारी आदरणीया सुश्री संगीता मिश्रा जी, साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई मंच के कर्मठ, प्रबुद्ध एवं सहृदयी प्रदेश अध्यक्ष आदरणीय श्री विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ जी, मधुर वक्ता, विनय शील, सक्रिय एवं इकाई के रचनाकारों को सदैव अपनी मधुर वाणी एवं मीठी मुस्कुराहट से प्रोत्साहन प्रदान करने वाली प्रदेश कार्यकारी अध्यक्षा आदरणीया दीदी दवीना अमर ठकराल जी, प्रदेश अलंकरण प्रमुख आदरणीया सन्तोषी किमोठी विशिष्ठ जी एवं संपूर्ण संपादक मंडल का ह्रदय तल से आत्मीय आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करती हूं।
पत्रिका के इस सुंदर के नाम से ही यह आभासित है कि पत्रिका नन्ही मुन्नी किलकारियों एवं बाल गीतों के मधुर इंद्रधनुषी रंगों से सुसज्जित है।
अधरों की मुस्कान हमारे
नन्हे मुन्ने प्यारे-प्यारे
अपनी चंचल मुस्कान बिखेरे
घर बगिया के नन्हे तारे।।
बाल रूप में कृष्णा लगते
नैनों में सपने हैं सजते
आने वाला कल इनसे है
मन को ये हर्षित हैं करते।।
इस अनुपम व अद्वितीय नवंबर अंक में ४९ पृष्ठों का सुंदर संकलन है। सभी श्रेष्ठ गुनी जनों के सुंदर आशीर्वचनों के उपरांत हमारे साहित्यिक परिवार के प्रबुद्ध रचनाकारों द्वारा सृजित रचनाएं बाल मनोभावों को जागृत करती हैं। कहीं चंदा मामा से कौतूहल पूर्ण मुलाकात, तो कहीं तितली और पतंग के मनमोहक रंग, कहीं मिठाई की मिठास तो कहीं नानी और मां के अमूल्य आंचल में वापस पहुंच जाने की लालसा जागृत करती रचनाएं स्वयं की बचपन की स्वर्णिम यादों को सम्मुख ले आती हैं।
बाल प्रकृति व किलकारियों से परिपूर्ण कृतियों का बेमिसाल संग्रह “बाल गीतावली” पाठकों के समक्ष एक अमूल्य एवं स्वर्णिम उपहार के रूप में उपस्थित हुआ है।
सभी मनीषियों को असीम शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई एक ऐसा साहित्यिक मंच है जहां हर रचनाकार अपनी भावनाओं व कल्पनाओं को विभिन्न विषयों के माध्यम से इंद्रधनुषी रंगों के रूप में व्यक्त करता है। सम्मान पत्र के रूप में मनोहर प्रोत्साहन स्वयं को विकसित करने की नवीन दिशा प्रदान करता है।यह मंच रचनाकारों को आत्मविश्वास व साहित्य की सुंदर ज्ञान से परिपूर्ण करता है।
मां शारदे को नमन करते हुए मैं आज इस पावन मंगलमय भक्ति काल में अद्वितीय अनुपम व मनोहारी ‘हरिहरहार’ पत्रिका का सानंद एवं हर्षोत्फुल्ल भाव से मंगल विमोचन करती हूं। सभी प्रबुद्ध रचनाकारों एवं चैतन्य पाठकों को हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं।
साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई के अध्यक्ष विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ ने आभार व्यक्त करते हुए कहा- ‘आदरणीया जया त्रिपाठी मिश्रा जी द्वारा भक्ति काल में साहित्य संगम संस्थान हरियाणा इकाई की मासिक ई-पत्रिका ‘हरिहरहार’ के विशेषांक ‘बाल गीतावली’ का भव्य एवं शानदार विमोचन किया गया। विमोचन के लिए प्रयुक्त आपका एक-एक शब्द नपा-तुला और प्रभावोत्पादक था। आपका अंदाज- ए-बयां बड़ा ही निराला है जो आपकी अभिव्यक्ति को मुखर बनाता है। इस हेतु हरियाणा इकाई आपको हृदय से बधाई देती है एवं धन्यवाद ज्ञापित करती है। ‘बाल गीतावली’ में चयनित सभी रचनाकारों को भी हार्दिक बधाई।
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’