जय हो माँ भारती
जय हो मां भारती,
जय माँ वागेश्वरी, माँ जय जग राता हूं.
जय हो माँ भारती,जय माँ ही गाता हूं.
बलखाते झरनों के,निर्झर प्रवाह में,
इठलाती सरिता के,उत्कल प्रभाव में,
नित्य नवीन किसलय में,मीत सदा पाता हूं.
जय हो माँ भारती,जय माँ जग राता हूं.
जय माँ वागेश्वरी, माँ जय हो गाता हूं.
अमराई बागों में,कोयल जब कूके.
तरुणाई रातों में,मधुबन में महके
भ्रमरों के गुंजन में, प्रीति सदा पाता हूं.
जय हो मां भारती,माँ जय जग राता हूं.
जय माँ वागेश्वरी, माँ जय हो गाता हूं.
नीर क्षीर नीरद जय,हिम तुंग श्रृंग जय.
रेतीले टीलों के,मरुथल अगाध जय.
मृगतृष्णा प्यास की,रीति सदा गाता हूं.
जय हो मां भारती,माँ जय जग राता हूं.
जय माँ वागेश्वरी, माँ जय हो गाता हूं.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
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