जयचंद
समय आ गया लड़ने का, जयचंद और गद्दारों से।
आज देश को बड़ी जरूरत, अपने सब वफादारो से।।
एकजुट ना हुए आज तो, अब तुम ना पछताओगे।
षड्यंत्र रच रहे ये तो ऐसे, जैसे देश मिटाएंगे।।
रहे अगर तुम सोए यूँही, अब के ना पछताओगे।
घर में बैठे-बैठे यूँही, घुट-घुट के मर जाओगे।।
मिले हुए हैं आज यहां पर, जयचंद और गद्दार सभी।
देशभक्त और देशद्रोह में, छिड़ी हुई तकरार अभी।।
महाराणा ना पड़े अकेला, ध्यान तुम्हें ये रखना हैं।
जो गलती चौहान ने की थी, वो गलती ना करना हैं।।
आज अगर तुम बट बैठे तो, फिर शत्रू ललकारेगा।
घर में घुस कर फिर तुमको, बिना लड़े वो मारेगा।।
आज बदल गया रूप युद्ध का, जगे नहीं तो सोना फिर।
आज बनो तुम वीर शिवाजी, बस शत्रु का संघार करो।।
करो भरोसा बंद आज तुम, सारे इन गद्दारों पर।
पहचान करो उन जयचंदो की, जो गोद में उनके बैठे हैं।।
यही समय हैं आँख खोलकर, शत्रु को पहचानो तुम।
शत्रु हुआ हैं बड़ा सयाना, उसको अब ललकारो तुम।।
ललकार भारद्वाज