जयघोष
हिन्द जनों के कोटि कंठ से,
गूँज रहा एक नारा है।
काश्मीर भारत का मस्तक ,
अब पाक ,पी ओ के हमारा है।।
सुनो शरीफ़ो ,सरताज़ ध्यान धर,
भाड़े के टट्टूओ को रोको।
नफरत ,आतंक की फ़सल ज़ो रोपी,
अपनी फ़सल खुद काटो फेंको ।।
हिम्मत हो तो सामने आओ,
हिन्द ने तुम्हें ललकारा है।
लुका छिपी के खेल बंद करो,
यह बुज़दिल कायरों की भाषा है।
बहुत घिनौने खेल हैं खेले,
आतंक तेरी परिभाषा है।।
तेरे नागों को नाथेंगे हम,
यह संकल्प हमारा है।
अभी तो कुछ ही कैम्प उजाड़े,
यह तो सिर्फ एक झांकी है।
हरकतों से गर बाज़ न आए,
पिक्चर अभी तो बाकी है।।
इस्लामाबाद में लहराएगा तिरंगा,
यह ज़यघोष हमारा है।