जमीन से आसमान को देखती हूं तो
जमीन से
आसमान को देखती हूं तो
दिल में बस
उसको लेकर
एक ही ख्याल आता है कि
यह विस्तृत और विशाल है
असीमित है पर
मेरी सीमायें हैं
सबसे बड़ी सीमा तो यही कि
मैं उसे दूर से देख सकती हूं पर
उस तक न पहुंच सकती हूं और
न ही उस जैसी बन सकती हूं
मेरे दिल के अहसास
उसके प्रति हमेशा ही
एक से रहते हैं
संवेदनाओं से भरे
वह महान है
एक जमीन पर
विचरने वाले किसी
महान व्यक्तित्व की ही तरह
हर पल जो उसे देखूं और
वह अपने रंग बदल ले तो
ऐ जमीन की समतल
भूरी भूरी मिट्टी
तू मुझे बता कि
मैं क्या करूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001