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13 Jun 2021 · 1 min read

जमीन नहीं छोड़ना

★जमीन नहीं छोड़ना★
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वसुधा जो अपनी माता कहलाती,
हम सबका देखो,जो बोझ उठाती।
इसके उपकारों से,तुम मुँह नहीं मोड़ना,
छू लेना नभ,पर जमीन नहीं छोड़ना

अतिशय है बुद्धि तेरी,विकास कराती,
ब्रह्मांड के रहस्यों से, है परदा उठाती।
कहर प्रकृति का बरपे, कहीं नाता न तोड़ना,
ले लो मंगल चाँद,पर जमीन नहीं छोड़ना

समय का चक्र, जो बदलता जरूर है,
कुछ नहीं रहा बस में,तो कैसा गुरुर है?
जब मौत हो सर पर, हिम्मत सबका जोड़ना,
डगमगाये कदम, प, जमीन नहीं छोड़ना

उड़ते हैं परिंदे जो, लंबी उड़ान भर,
दिखने लगते छोटे,वे आसमान पर।
ऊँचाइयों से गिर सर,शिला पर नहीं फोड़ना,
उड़ो चाहे जितना,पर जमीन नहीं छोड़ना

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°’°°°°°°°°°°°°°
★★अशोक शर्मा,,लक्ष्मीगंज, कुशीनगर, उ.प्र.★★
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Language: Hindi
2 Likes · 367 Views
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