Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Nov 2022 · 3 min read

जमीन की भूख

विक्रम पढ़ा-लिखा समझदार युवक था। वह मुंबई शहर में रहता था। अपने जीवन में विक्रम बहुत ज्यादा लापरवाह था। विक्रम के पिता जी के पास धन दौलत की कमी नहीं थी। विक्रम की सबसे बड़ी कमजोरी थी, खाली जमीन खरीदने की भूख।
विक्रम जब भी कहीं खाली जमीन देखता था, तो उस खाली जमीन के मालिक के साथ जमीन खरीदने के लिए संपर्क कर लेता था।
विक्रम उस खाली जमीन को खरीद कर कुछ सालों तक अपने पास रखता था। और नफा नुकसान की सोचे बिना आंख मीच कर बेच देता था। और जमीन बेचने पर घाटा होने के बाद कुछ समय तक अपने कमरे में उदास और मायूस रहता था। उसके इस दुख से उसके माता-पिता भी दुखी हो जाते थे।
और कभी विक्रम को जमीन बेचने पर मुनाफा होता था, तो वह उस मुनाफे के पैसों को यार दोस्तों पर खर्च कर देता था।
विक्रम के पिताजी उसको जमीन की इस भूख के नुकसान के बारे में हमेशा समझाते थे। और कहते थे, “तेरी इन हरकतों से तेरे साथ हम भी बर्बाद हो जाएंगे।”
विक्रम अपनी लापरवाही और गैर जिम्मेदारी के कारण उनकी इन बातों पर ध्यान नहीं देता था।
जीवन के प्रति उसकी लापरवाही को समझकर उसके माता-पिता विक्रम का एक सुंदर सुशील लड़की से रिश्ता पक्का कर देते हैं। विक्रम शादी करने के लिए अपने माता-पिता के सामने एक शर्त रख देता है, कि “मैं शादी जब करूंगा पहले मैं एक जमीन खरीदूंगा उसके बाद वहां एक आलीशान बंगला बना कर अपने यार दोस्तों रिश्तेदारों को बड़ी पार्टी दूंगा।
विक्रम के पिता विक्रम के कंधे पर हाथ रखकर कहते हैं कि “शादी से पहले तेरा आलीशान बंगला तैयार हो जाना चाहिए।”
दूसरे दिन ही विक्रम आलीशान बंगला बनाने के लिए जमीन देखने अपनी कार से निकल जाता है। जमीन ढूंढते ढूंढते विक्रम को एक बहुत बड़ी खाली जमीन दिखाई देती है। जमीन के चारों तरफ बाउंड्री बनी हुई थी। और बाहर एक बोर्ड लगा हुआ था। उस बोर्ड पर जमीन के मालिक का पता लिखा था।
विक्रम अपने माता-पिता मित्रों के बिना विचार-विमर्श के उस बड़ी सी जमीन को खरीद लेता है। और बिना जानकारी लिए बंगला बनवाने का ठेका भी दे देता है। इस आलीशान बंगले को बनवाने में विक्रम अपनी और अपने पिताजी की सारी जमा पूंजी लगा देता है।
और अपनी शादी से पहले एक बहुत सुंदर आलीशान बंगला बनवा लेता है।
विक्रम अपनी शादी के दूसरे दिन पत्नी और माता पिता के साथ मिलकर शादी की पार्टी की तैयारी करवाता है। उसी समय एक बूढ़ा मजदूर विक्रम के पिता के पास आकर कहता है कि “बाबूजी जिस जमीन पर आपका आलीशान बंगला बना हुआ है, वह जमीन एक पुराने कब्रिस्तान की है।”विक्रम ने इस आलीशान बंगले को बनवाने में अपनी और अपने पिता की सारी जमा पूंजी खर्च कर दी थी।
उसकी जमीन खरीदने की भूख के कारण उसका परिवार बर्बाद हो जाता है। परिवार की बर्बादी के बाद विक्रम को अपने पिता की सारी बात समझ में आती है। लेकिन जब तक उसकी जमीन खरीदने की भूख के कारण बहुत देर हो चुकी थी।
कहानी से सीख: किसी भी तरह की ज्यादा भूख हमेशा नुकसान ही पहुंचाती।

2 Likes · 2108 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Satya Prakash Sharma
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
3973.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"कुछ भी नहीं हूँ मैं"
Dr. Kishan tandon kranti
मम्मी का ग़ुस्सा.
मम्मी का ग़ुस्सा.
Piyush Goel
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Haiku
Haiku
Otteri Selvakumar
अहमियत हमसे
अहमियत हमसे
Dr fauzia Naseem shad
कलम
कलम
Kumud Srivastava
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
काफी ढूंढ रही थी में खुशियों को,
Kanchan Alok Malu
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"शिक्षक दिवस और मैं"
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
बात निकली है तो दूर तक जायेगी
बात निकली है तो दूर तक जायेगी
Sonam Puneet Dubey
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
ईमानदारी. . . . . लघुकथा
sushil sarna
धूल के फूल
धूल के फूल
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
Lokesh Sharma
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
Phool gufran
I can’t be doing this again,
I can’t be doing this again,
पूर्वार्थ
*वैश्विक समन्वय और भारतीय विमर्श : डॉ पुष्कर मिश्र और आरिफ म
*वैश्विक समन्वय और भारतीय विमर्श : डॉ पुष्कर मिश्र और आरिफ म
Ravi Prakash
चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू,
चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू,
पंकज परिंदा
बोलती आँखें
बोलती आँखें
Awadhesh Singh
ये रात पहली जैसी नहीं
ये रात पहली जैसी नहीं
Befikr Lafz
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
आ
*प्रणय*
बन रहा भव्य मंदिर कौशल में राम लला भी आयेंगे।
बन रहा भव्य मंदिर कौशल में राम लला भी आयेंगे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
इंतज़ार के दिन लम्बे हैं मगर
इंतज़ार के दिन लम्बे हैं मगर
Chitra Bisht
*शिवरात्रि*
*शिवरात्रि*
Dr. Priya Gupta
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
gurudeenverma198
दिन और रात-दो चरित्र
दिन और रात-दो चरित्र
Suryakant Dwivedi
Loading...