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11 Oct 2022 · 1 min read

जमीं पर चाँद हो उतरा

जमीं पर चाँद हो उतरा
******************

जमीं पर चाँद हो उतरा,
जो आये दर पर हमारे।

सितारे बारात में आये,
चाँदनी रात के नज़राने।

खिली है खूब फुलवारी
बाग – बगीचे थे विरानें।

दिखाओ झलक थोड़ी,
झलक तेरी के दीवानें।

शबनमी होंठ हैं रसीले,
भँवरे पान को मतवाले।

शमा पर इल्जाम भारी,
कत्ल हुए कई परवाने।

मनसीरत जान ज़ुल्मी,
न बचने के रहे ठिकाने।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
214 Views
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