जमीं पर चाँद हो उतरा
जमीं पर चाँद हो उतरा
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जमीं पर चाँद हो उतरा,
जो आये दर पर हमारे।
सितारे बारात में आये,
चाँदनी रात के नज़राने।
खिली है खूब फुलवारी
बाग – बगीचे थे विरानें।
दिखाओ झलक थोड़ी,
झलक तेरी के दीवानें।
शबनमी होंठ हैं रसीले,
भँवरे पान को मतवाले।
शमा पर इल्जाम भारी,
कत्ल हुए कई परवाने।
मनसीरत जान ज़ुल्मी,
न बचने के रहे ठिकाने।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)