*बदलते जज़्बात*
जमाने में इंसान को
रंग बदलते देखा है।
मौका मिलते ही
वादों को मरते देखा है।
गर दौलत चली जाए
जीवन से कभी।
इंसान के ज़मीर को
इक पल में मरते देखा है।
वादे किए उसने बहुतेरे
जिसमें अंतिम सांस तक
साथ रहना भी शामिल था।
लेकिन उनके मिलते ही गैर से
खुद कत्ल अपना होते
मैंने देखा है।
जीतेन