जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मै ढ़लने लगा हूॅ॑
ना चाहकर भी खुद को बदलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में…………
हकीकत समझ आ रही जिंदगी की
सपनों से भी आगे मैं निकलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में………….
देखा करता था कभी ख्वाब सुनहरे
मगर आज सच्च को समझने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में………….
मुझको शिकायत किसी से नहीं है
मैं खुद की ज्वाला में ही जलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में…………..
करता अम्ल था हर एक बात पर मैं
मगर आज शब्दों को निगलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में……………
‘V9द’ मुझको अब ये तूॅ॑ ही बता दे
मैं गिरने लगा हूं कि सम्भलने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में……………