जमाने का दस्तूर
जमाने का यारों बहुत दस्तूर निराला
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
जो जिसको चाहे वो मिलता नहीं हैं
जिसको मिलता है वो चाहता नहीं हैं
प्रीत की रीत का है रंग बहुत निराला
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
रिश्तों की उलझन में उलझता जाए
सुलझाने की तरकीब काम ना आए
उलझन सुलझन का है जाल निराला
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
रंक, निरोगी धन माया को है तरसे
रोगी, धनाढ्य निरोगी काया तरसे
सुख दुख ,धन माया जाल बिछाया
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
धूप जो निकले छाँव को ढूँढते हैं
छाँव जो होती है धूप को ढूँढते हैं
धूप छाँव का खेल है बहुत निराला
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
पल में है रंक पल में बन जाए राजा
जिन्दगी रंग बदलती बजाती है बाजा
कृष्ण सुदामा का याराना है निराला
कहीं पर है अंधेरा कहीं पर है उजाला
जमाने का यारों बहुत दस्तूर निराला
कहीं पर अंधेरा कहीं पर है उजाला
सुखविंद्र सिंह मनसीरत