जमाना याद करेगा
कल रहूँ ना रहूँ मैं जग में।
जमाना मुझको याद करेगा।
कितना भी भेद रखूं मैं जग से।
सब ही एक दिन खुल जाएगा।
नेकी की एक दीवार खड़ी कर।
जग से रुख्सत कर जाऊंगा मैं।
कब आए थे हम जहान में।
कब जाएँगे हम जहान से।
न कोई जान पाया है जग में।
न ही कोई जान पायेगा जग में।
ऐसा कुछ कर जाऊंगा।
सबके दिल में रम जाऊंगा ।
हो सके तो मेरे कब्र पे आना।
आकर कोई आँसू न बहाना।
क्योंकि जो आया है जहान में।
लौटकर एक दिन वह जाएगा।
फिर व्यर्थ में आँसू बहाना क्यों?
फिर दिल को यूँ तड़पाना क्यों?
इन आँसुओं को गिराना न कभी,
वरना मेरा दिल पिघल जाएगा।