जमाना खराब है
जमाना इतना बुरा हो जायेगा
जमाना इतना जलील कर देगा
किसी को भी बदनाम कर देगा
किसी का भी उपहास उड़ा देगा
ज़माने में लोग खुद गरज हो रहे हे
दर्द अपने अंदर है मर्ज किसी का खोज रहे हे
अपनी खोदी हुई कब्र देख नहीं प् रहे हैं
दूसरे की चिता पर घी छिड़क रहे हे
किसी का घर बर्बाद कर रहे हैं
किसी का घर उजाड़ रहे हैं
अपनी तो परेशानियन कम नहीं हैं
उनकी दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं
मानसिकता उनकी भंग हो गयी है
आरोपों की बुनियाद पर वो खड़े हैं
जरूरत से ज्यादा परेशां खुद हैं
फिर भी चलन में कोई कमी नहीं है !!