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21 Sep 2018 · 1 min read

वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है

कबड्डी खो -खो का बीता दौर है |
गाँव में अब जुआड़ियों का शोर है |
सूना मुखिया-द्वार सूनी डेहरी |
वक्त अब कलुआ के घर का ठौर है |
…………..
पं बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” ,”क्रौंच सु ऋषि आलोक” एवं “पं बृजेश कुमार नायक की चुनिंदा रचनाएं” कृतियों के प्रणेता
……..
उक्त मुक्तक को मेरे फेसबुक पेज पर एवं मेरे ब्लाग पर भी पढा जा सकता है |

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Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
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