जब से फागुन आया है।
जब से फागुन आया है
कौन कौन बौराया है।
जबसे यह फागुन आया है।
नारी और वारि के सह में,
सवको मद चढ आया है।
जब से फागुन आया है।
करता गुंजन अलि डोले।
कोयल कुहू कुहू बोले।
तितली अपना रंग टटोले।
अमुआ भी बौराया है।
जबसे फागुन आया है।
टेसू देखो कितना निखरा।
रंग केसरी पसरा पसरा।
रंग भंग का दिखता बिखरा।
पप्पू अभिषेक बौराया है
जब से फागुन आया है।
नारी बनती नवी नवेली।
झौपड हो फिर चाहे हवेली।
सबने मौज से होली खेली।
रसिया डूबी माया है।
जबसे फागुन आया है।
उड़दंगी बच्चो की टोली।
सबसे करती फिरे ठिठोली।
बुरा न मानो आई होली।
अनजाना भी सताया है।
जबसे फागुन आया है।
**** मधु गौतम