जब से उन्हें निहारा है
जिस दिन से उन्हें निहारा है
इन आँखों में उजियारा है
राह दिखाती सबको संसद
दिया तले तो अंधियारा है
पतवार बिना कोई कश्ती
कब पाती यहाँ किनारा है
पास नहीं है चारा जिसके
वह दुनिया में बेचारा है
कोई भूखा कहीं मर रहा
और कहीं पर भंडारा है
जो जो रखते हैं काला धन
सब में ही भाईचारा है
दिखने में हैं सीधे-सादे
लेकिन दिल तो आवारा है