Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2020 · 1 min read

जब लिखती हूँ मैं कविता

जब लिखती हूँ मैं कविता,
पग नूपुर नहीं, कंठहार नहीं
गहनों से होती श्रृंगार नहीं,
होती है शब्दों की रुनझुनता ,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

बसंत की स्नेहिक वात नही
शिशिर की शीतल प्रताप नहीं
ग्रीष्म की भीषण संताप नहीं,
होती है शब्दों की सधनता
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

यौवन की अंगड़ाई नहीं,
बचपन की इठलाई नहीं,
वृद्ध की चारपाई नहीं,
होती है शब्दों की विवशता ,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

प्रात की कलरव सौगात नहीं
मध्य दिनक आलाप नहीं ,
संध्या जीवन की पश्चाताप नहीं,
होती है शब्दों की विषमता ।
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

शिव की विषहाला नहीं
इंद्र की मधु प्याला नहीं,
श्रमिक की मधुशाला नहीं,
होती है शब्दों की मादकता ,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

मैथिल का आदरभाव नहीं,
ऋषियों का सरल स्वभाव नहीं,
शीशम की ठंडी छाव नहीं,
होती है शब्दों की सरलता,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

कवि की कल्पना नहीं,
गृहणी की अल्पना नहीं,
मानस की सपना नहीं,
होती है शब्दों की व्यापकता,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।

प्रकृति का अछुन्न आकाश नहीं
दिनकर का तेज प्रकाश नहीं,
दूर्वा का तीव्र विकास नहीं,
होती है शब्दों की अमरता,
जब लिखती हूँ मैं कविता ।
उमा झा

Language: Hindi
16 Likes · 8 Comments · 264 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
हासिल नहीं था
हासिल नहीं था
Dr fauzia Naseem shad
एक लम्हा है ज़िन्दगी,
एक लम्हा है ज़िन्दगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
ज्ञान से शिक्षित, व्यवहार से अनपढ़
पूर्वार्थ
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं  मैं।
काली घनी अंधेरी रात में, चित्र ढूंढता हूं मैं।
Sanjay ' शून्य'
।। श्री सत्यनारायण ब़त कथा महात्तम।।
।। श्री सत्यनारायण ब़त कथा महात्तम।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
* माई गंगा *
* माई गंगा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
लक्ष्मी सिंह
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
लोग कहते हैं कि प्यार अँधा होता है।
आनंद प्रवीण
दिनकर की दीप्ति
दिनकर की दीप्ति
AJAY AMITABH SUMAN
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
रिश्तो की कच्ची डोर
रिश्तो की कच्ची डोर
Harminder Kaur
बचपन कितना सुंदर था।
बचपन कितना सुंदर था।
Surya Barman
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
प्यार दर्पण के जैसे सजाना सनम,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"शेष पृष्ठा
Paramita Sarangi
"लड़कर जीना"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम बदल जाओगी।
तुम बदल जाओगी।
Rj Anand Prajapati
आहट बता गयी
आहट बता गयी
भरत कुमार सोलंकी
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
एक अध्याय नया
एक अध्याय नया
Priya princess panwar
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
फूल की संवेदना
फूल की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
भारत कभी रहा होगा कृषि प्रधान देश
भारत कभी रहा होगा कृषि प्रधान देश
शेखर सिंह
*चॉंद की सैर (हास्य व्यंग्य)*
*चॉंद की सैर (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
अछूत का इनार / मुसाफ़िर बैठा
अछूत का इनार / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
करी लाडू
करी लाडू
Ranjeet kumar patre
यूॅं बचा कर रख लिया है,
यूॅं बचा कर रख लिया है,
Rashmi Sanjay
लालटेन-छाप
लालटेन-छाप
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...