जब लगती है नाटी
जब कानों में सुनाई देती है
वो मधुर ताल हमको
सुनते ही मजबूर कर देती है
वो थिरकने को हमको।।
बजता है ढोल और शहनाई जब
और नाटी चेंखी की लगती है
भला कौन है ऐसा यहां जिसको
नाटी करने की इच्छा नहीं पलती है।।
पहाड़ों की शान है नाटी
है हर किसी को भाती नाटी
होता है जब भी कोई जश्न
पहाड़ पर तो लगती है नाटी।।
पहाड़ पर नाटी आम है
बच्चे बूढ़े सब करते है नाटी
पुरुष हो या हो महिलाएं
सबको पसंद आती है नाटी।।
पहाड़ की पहचान है नाटी
हमारी आन बान शान है नाटी
जो भी आता है घूमने यहां
हर कोई सीखना चाहता है नाटी।।
सबको एकता में पिरोती है नाटी
संस्कृति को समृद्ध करती है नाटी
दिन भर के काम की थकान को
मिटाने का काम करती है नाटी।।
है ये देवभूमि हिमाचल की शान
यहां हर शादी में बजती है नाटी
झूमते है सब मिलकर खुशी से
यहां तो देवता भी करते है नाटी।।