* जब लक्ष्य पर *
** गीतिका **
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जब लक्ष्य पर हमारी, रहती सदा नजर है।
संशय नहीं जरा भी, कैसी कठिन डगर है।
जो कह दिया करेंगे, हम पूर्ण हर शपथ को।
अब शेष रह न पाए, कोई अगर मगर है।
जब साथ आपका है, सुन्दर सभी नजारे।
बिल्कुल अपूर्ण मानो, बिन आपके सफर है।
है चाह अब न बाकी, उत्साह से भरा मन।
बस एक ही लगन यह, छूना हमें शिखर है।
हर दृष्टि से लुभावन, हो भव्य खूबसूरत।
मिल जुल रहे बिना तो, बनता कभी न घर है।
जो सत्य पथ बढे हैं, उनकी विजय सुनिश्चित।
हर स्थान हर समय में, होता कभी न डर है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २१/०४/२०२४