जब मैं पढ़ता था
जिस समय मैं पढ़ता था उस समय सारे मंजिर आसान दिखती थी। पढ़ने में इतना रुचि था कि मानो अगर कोई कह दे पहाड़ को तोड़ देना है तो उस समय अपने ज्ञान के बल से बिना छुए पहाड़ को तोड़ देता।
लेकिन स्थितियां बदली, समय बदला और इसके साथ-साथ सारी चीजें बदल गई। अब तो ऐसा लगता है कि अगर कोई कह दे कि एक चींटी को मार देना है तो अब चींटी भी पहाड़ जैसी दिखती है उसे छूकर भी मार नहीं सकते। इतनी परिस्थितियां बदल गई कि अब अपने आप को बहुत कमजोर महसूस होता है।
बस, अब यही सोचता हूं कि इतनी कम उम्र में यह जिंदगी जीना क्यों हार गए?
लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳