जब मैं जाऊँ…..
जब मैं जाऊँ…..
सखी तुम आना करके श्रृंगार
सखी तुम आना बनके बहार ,
सखी तुम आना नैनन में ले के प्यार
सखी तुम आना होके बेहद बेकरार ,
सखी तुम आना लेकर उलाहनों का अंबार
सखी तुम आना करने बची हुई तकरार ,
सखी तुम देना मेरे बच्चों को अपना दुलार
सखी तुम देना माँ – सी बन कर लाड़ – प्यार ,
सखी तुम आना और पोछना आँखों का कोर
सखी तुम आना और थामना यारी का छोर ,
सखी तुम आना बनके दिल से मेरी हकदार
सखी तुम आना बनके फिर से मेरी दरकार ,
सखी तुम आना सजाने अपने हाथों से यार
सखी तुम आना करने मुझे आखिरी प्यार ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 09/03/2021 )