जब मति ही विपरीत हो
जब मति ही विपरीत हो, …रहती सोच विनाश I
निश्चित है उस व्यक्ति का, नाश नाश बस नाश II
दरवाजा हर जीत का,..हो जाता है बंद ।
घर मे ही कोई अगर,बन जाये जयचंद ।।
रमेश शर्मा.
जब मति ही विपरीत हो, …रहती सोच विनाश I
निश्चित है उस व्यक्ति का, नाश नाश बस नाश II
दरवाजा हर जीत का,..हो जाता है बंद ।
घर मे ही कोई अगर,बन जाये जयचंद ।।
रमेश शर्मा.