“जब भी ये दिल हताश होता है”
जब भी ये दिल हताश होता है
जाने कौन आसपास होता है
दीखता नहीं है इन निगाहों से
दिल में उसका वास होता है
दिख जाए मुझको इक दफा रूबरू
फकत मेरा प्रयास होता है
दीदारे यार को जों तरसे
उसी दिल में प्रकाश होता है
शक की ना रहे गुंजाइश कोई
मिलेगा जिसे विश्वास होता है
अबूझ पहेली है उनके लिये राणाजी
छल कपट जिनका लिबास होता है
©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी”
सनावद (मध्यप्रदेश)