जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी
जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी
कसक और मुस्काहट साथ मे आती होगी,
तुम बिन अब कुछ भी न अच्छा लगता है
हर पल मिलने का तुमसे ये मन करता है
न तुम बिन अब कोई गीत लिखा जाता है
हर ग़ज़लों पर अक्स तुम्हारा आ जाता है
क्या यही हवाएं तुमको भी छूती होगी
जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी,
मुझे कभी कभी यों लगता है जैसे आए हो तुम
बांह पकड़ बाँहों में भरने को खीच रहे हो तुम
सीने से चिपकाकर मुझको मुस्काए हो तुम
औ वहीं मेरे गोद में आके कैसे झूम उठे हो तुम
क्या तुम भी मेरे जैसे पागल होती होगी
जब भी मेरी यादें तुमको आती होंगी,
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निर्मल सिंह ‘नीर’
दिनांक – 07 अप्रैल, 2017