जब भी ज़िक्र आया तेरा फंसानें में।
कुछ यादें आज भी जिन्दा है सीने में।
सदा ही रहेंगी ये जिंदगी भर जीने में।।1।।
जब गुजरे ज़मानें की बातें सताती हैं।
तो वक्ते जिंदगी कटती है मयखानें में।।2।।
एक हम थे जो तुमपे यूं मर मिटे थे।
तुम बेवफ़ा निकले रिश्ता निभानें में।।3।।
बातों-बातों में दिल गमज़ादा हुआ।
जब भी ज़िक्र आया तेरा फंसानें में।।4।।
तेरे अकीदे पर हम दिन रात ही रोए।
तुमको क्या मिला यूं दिल दुखानें में।।5।।
शम्मा निकली बेवफ़ा यूं मुहब्बत में।
पर मरकर इश्क निभाया परवानें नें।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ